फ्रंट-रनिंग (Front-Running)

फ्रंट-रनिंग (Front-Running)

फ्रंट-रनिंग (Front-Running)

 

संदर्भ:

हाल ही में, म्युचुअल फंड कारोबार में ‘फ्रंट रनिंग’ (Front-Running) का मामला सामने आया था।

इसलिए, भविष्य में इसी तरह की होने वाली गतिविधियों की संभावना के बारे में चिंतित होकर, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा कठोर कार्रवाई किए जाने की उम्मीद है, जिसमें ‘फंड हाउस’ के शीर्ष कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।

 

‘फ्रंट-रनिंग’ क्या होती है?

फ्रंट-रनिंग (Front-running) एक संदेहात्मक बाजार-प्रथा है, जिसमें किसी डीलर, व्यापारी या कर्मचारी को किसी फंड या बड़े निवेशक द्वारा शेयरों को खरीदने या बेचने के लिए एक बड़े ऑर्डर के बारे में संकेत मिलता है, और इसके बाद वे इस सौदे के सामने (In Front) आ जाते हैं।

‘बड़े ऑर्डर’ आमतौर पर ‘स्टॉक’ की कीमतों को बढ़ा देते हैं।

फ्रंट-रनर अपनी अग्रिम जानकारी से, बड़े ऑर्डर के बाजार में आने से ठीक पहले शेयर खरीदकर, और कीमत बढ़ने के बाद उन्हें बेचकर अवैध लाभ अर्जित करते हैं।

 

संबंधित चिंताएं:

अंदरूनी सूत्रों द्वारा फ्रंट-रनिंग करने वालों के द्वारा, निवेशकों को स्टॉक खरीदने या बेचने के लिए कीमतों की बोली बढाकर या कीमतों को कम करके उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला जा सकता है।

इस प्रकार की प्रथाओं को रोकने के लिए नियम:

सेबी (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध) विनियम, 2003 के तहत, फ्रंट-रनिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, और इसे धोखाधड़ी और अनुचित व्यवहार के रूप में परिभाषित करता है। SEBI द्वारा इस क़ानून को फ्रंट-रनर के खिलाफ आदेश पारित करने के लिए कई बार लागू किया गया है।

 

सेबी द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई:

प्राथमिक बाजार के मोर्चे पर, नियामक द्वारा नए जमाने की प्रौद्योगिकी कंपनियों की लिस्टिंग के लिए प्रकटीकरण और अनुपालन अनिवार्यताओं में वृद्धि करने पर विचार किया जा रहा है।

द्वितीयक बाजार सहभागियों के लिए, SEBI द्वारा जिम्मेदार निवेश के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यवाही की जा रही है क्योंकि बहुत सारे नए ग्राहक ‘सट्टा कारोबार’ (speculative trading) की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं।
इस प्रथा को रोकने के लिए और क्या किया जाना चाहिए?

स्टॉक एक्सचेंजों के निगरानी तंत्र, ‘फ्रंट-रनिंग’ के उदाहरणों को उजागर करने के लिए सबसे उपयोगी तंत्र हैं।

बाजार में रीयल-टाइम ट्रेडों को ट्रैक करने वाले ‘निगरानी सॉफ्टवेयर’, बड़े निवेशकों और व्यक्तियों के बीच समान कारोबार पैटर्न को खोजने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है, और यह नियामक द्वारा ‘फ्रंट-रनिंग जांच’ का आधार बन सकते हैं।
जांच में गड़बड़ी के कठोर सबूत मिलने पर, SEBI को सूचना वाहकों और फ्रंट-रनर्स के लिए और अधिक कठोर दंडों पर भी विचार करने की आवश्यकता है।

 

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